Raipur
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Published in the Tax Law Decisions (TLD) Magzine/टैक्स लॉ डिसीजन्स (टी एल डी) पत्रिका में प्रकाशित
बदलाव के दौर में एक नई रणनीति की आवश्यकता
सितंबर 2025 में जीएसटी कानून में हुए महत्वपूर्ण संशोधन केवल प्रक्रियात्मक बदलाव नहीं हैं, बल्कि ये कर प्रशासन के एक नए युग का संकेत देते हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अनुपालन को सरल बनाने और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कर चोरी को रोकने के लिए एक दोहरी रणनीति अपना रही है। एक तरफ, छोटे व्यवसायों को वार्षिक विवरणी जैसे बोझ से राहत दी गई है, तो दूसरी तरफ, संवेदनशील वस्तुओं पर प्रतिदाय (रिफंड) और इनपुट टैक्स क्रेडिट जैसे मामलों में नियमों को अभूतपूर्व रूप से सख्त किया गया है।
इस बदलते परिदृश्य में, कर सलाहकारों और व्यवसायों के लिए केवल प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण अपनाना पर्याप्त नहीं होगा। अब एक सक्रिय, दूरदर्शी और रणनीतिक योजना की आवश्यकता है। यह लेख विशेष रूप से कर पेशेवरों और व्यापार जगत के लिए एक व्यावहारिक और चरण-दर-चरण कार्य योजना प्रस्तुत करता है, ताकि वे न केवल इन परिवर्तनों का अनुपालन कर सकें, बल्कि भविष्य के लिए अपने व्यवसायों को सुरक्षित और मजबूत भी बना सकें।
जीएसटी प्रशासन के नए प्रतिमान को समझना
इन संशोधनों का समग्र प्रभाव एक परिपक्व होती कर प्रणाली का स्पष्ट संकेत है। यह दर्शाता है कि सरकार अब डेटा विश्लेषण और अनुभव के आधार पर अपनी नीतियों को परिष्कृत कर रही है। इन संशोधनों का समग्र प्रभाव दोहरा है :
छोटे व्यवसायों के लिए व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) : लाखों छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन बोझ को कम करके सरकार ने व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास किया है।
राजस्व सुरक्षा के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता : उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों पर सख्त नियंत्रण, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रवर्तन (जैसे ट्रैक एंड ट्रेस तंत्र), प्रतिकूल न्यायिक व्याख्याओं को निष्प्रभावी करने के लिए पूर्वव्यापी विधायी कार्रवाई, और क्रेडिट नोट जैसी प्रक्रियाओं में खामियों को दूर करना यह दर्शाता है कि सरकार राजस्व सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है।
कुल मिलाकर, यह जीएसटी प्रणाली को अधिक मजबूत, पारदर्शी और कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
करदाताओं और सलाहकारों के लिए भविष्य की राह : एक त्रि-स्तरीय कार्य योजना
इन व्यापक परिवर्तनों के आलोक में, करदाताओं और उनके सलाहकारों को एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उनके लिए एक कार्य योजना निम्नलिखित हो सकती है:
चरण 1 : तत्काल कार्रवाई
आधार प्रमाणीकरण सुनिश्चित करें : यह सबसे पहली और महत्वपूर्ण प्राथमिकता होनी चाहिए। अपने और अपने सभी ग्राहकों के लिए यह सुनिश्चित करें कि आधार प्रमाणीकरण की प्रक्रिया तत्काल पूरी हो। ऐसा न करने पर, शून्य-रेटेड आपूर्ति पर प्रतिदाय (रिफंड) पूरी तरह से रुक जाएगा, जिससे कार्यशील पूंजी का संकट खड़ा हो सकता है।
जीएसटीआर-9 छूट पर ग्राहकों को सलाह दें : अपने उन ग्राहकों की सूची बनाएं जिनका कुल वार्षिक कारोबार रु. 2 करोड़ से कम है। उन्हें वित्तीय वर्ष 2024-25 से वार्षिक विवरणी दाखिल करने से मिली छूट के बारे में सूचित करें। उन्हें केवल लाभ (समय और पैसे की बचत) ही नहीं, बल्कि इससे जुड़े जोखिमों के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताएं। सलाह दें कि भले ही यह अनिवार्य न हो, फिर भी उन्हें वर्ष के अंत में एक आंतरिक सामंजस्य (internal reconciliation) अभ्यास अवश्य करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी बड़ी कर देनदारी से बचा जा सके।
चरण 2 : मध्यम-अवधि की तैयारी (अगले 3-6 महीने)
कार्यशील पूंजी का पुनर्मूल्यांकन : यदि आपका व्यवसाय या आपके ग्राहक का व्यवसाय सुपारी, पान मसाला, तंबाकू या आवश्यक तेलों से संबंधित है, तो अपनी कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं का गंभीरता से पुनर्मूल्यांकन करें। इन वस्तुओं पर अब अनंतिम प्रतिदाय उपलब्ध नहीं होगा, जिसका अर्थ है कि रिफंड मिलने में काफी अधिक समय लगेगा। इस स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों या क्रेडिट लाइनों की व्यवस्था करने पर विचार करें।
‘ट्रैक एंड ट्रेस’ तंत्र के लिए तैयार रहें : यदि आप सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाली संवेदनशील वस्तुओं के निर्माता या वितरक हैं, तो ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ तंत्र के लिए तैयारी शुरू कर दें। संबंधित उद्योग संघों और सरकारी घोषणाओं पर कड़ी नजर रखें। आवश्यक प्रौद्योगिकी (स्कैनिंग उपकरण, सॉफ्टवेयर) और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए बजट और योजना बनाना शुरू करें।
क्रेडिट नोट प्रक्रियाओं को अपडेट करें : धारा 34 में हुए संशोधन के बाद, क्रेडिट नोट जारी करने की अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं (SOPs) को अपडेट करें। अब आप अपनी आउटपुट कर देयता को तब तक कम नहीं कर सकते जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि प्राप्तकर्ता ने संबंधित आईटीसी को उलट दिया है। इसके लिए अपने ग्राहकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ एक मजबूत संचार और पुष्टि तंत्र स्थापित करें ।
चरण 3 : दीर्घकालिक रणनीति और मानसिकता में बदलाव
लिटिगेशन रणनीतियों की समीक्षा करें : धारा 17(5) में 'संयंत्र और मशीनरी' पर आईटीसी से संबंधित पूर्वव्यापी संशोधन (सफारी रिट्रीटस मामले को निष्प्रभावी करते हुए) एक बड़ा सबक है। अपनी सभी मौजूदा और संभावित लिटिगेशन रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करें । जिन मामलों में आपने अनुकूल न्यायिक फैसलों पर भरोसा किया है, वे अब जोखिम में हो सकते हैं । भविष्य में ऐसे दावों से बचें जिनका आधार केवल न्यायिक व्याख्या हो, न कि स्पष्ट विधायी मंशा ।
विधायी मंशा को प्राथमिकता दें : एक सलाहकार के रूप में, अब केवल कानून की शाब्दिक व्याख्या पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है । आपको कानून के पीछे की नीति और सरकार के उद्देश्य को समझना होगा । अपने client को ऐसी सलाह दें जो टिकाऊ, जोखिम-मुक्त और विधायी मंशा के अनुरूप हो । कर योजना अब आक्रामक होने के बजाय रूढ़िवादी और अनुपालन-केंद्रित होनी चाहिए ।
प्रौद्योगिकी और आंतरिक नियंत्रण में निवेश करें : जीएसटी का भविष्य प्रौद्योगिकी-संचालित है । मजबूत लेखांकन सॉफ्टवेयर, स्वचालित सामंजस्य उपकरण और मजबूत आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों में निवेश करें । यह न केवल अनुपालन सुनिश्चित करेगा, बल्कि विभागीय जांच और ऑडिट के दौरान आपके पक्ष को भी मजबूत करेगा ।
संक्षेप में, जीएसटी का यह नया दौर उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा जो बदलाव के प्रति धीमी प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए अवसरों से भरा है जो सक्रिय, रणनीतिक और दूरदर्शी हैं । उपरोक्त कार्य योजना का पालन करके, कर सलाहकार और व्यवसाय न केवल वर्तमान चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, बल्कि भविष्य में सफलता की नींव भी रख सकते हैं ।
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